बारिश के पानी में
फिर ना जाने क्यू
हाथ गरम और
पाओं ठंडे पड़ गये
सोचा फिर कोई नया खेल चला है तुम्हारा
ठंडा गरम, गरम ठंडा
मुड़के देखा पीछे तो कोई था नही
बस कुछ पेरो के निशान
कुछ नरम सी आहटे
दो चार और थोड़ी बातें
बेवफाह तुम नही
पर यादें हैं तुम्हारी
मनचाही अपने मन की करती हैं
जब मन करता है आ जाती हैं
यूही उठकर चली जाती हैं
गढ़ी की टिक टिक
या बारिश की टिप टिप
दोनो तुम्हारे नाम हैं
फिर सीधे पाओं चली
देखा एक धुंधली सी आस है आगे कोई
आँखो का कोहरा है
या मन का विश्वास है
आगे चलने लगी तो पाया
पाओं फिर ठंडे पड़े और हाथ गरम
झूठ कहा था नही आ रहे
अब तो तुम्हारे झूठ सच से ज़्यादा मीठे लगने लगे हैं
खुश्बुओं से कितने महेकाओगे आशियाने को
अछा अब बस भी करो
ये बारिश भी तुम्हारी साजिश है ना
अब बस भी करो
और उस आस ने हाथ थाम लिया
फिर पाओं ठंडे पड़े और हाथ गरम
लेकिन इस बार बारिश को नही कोसा
क्यूंकी अब वजह थे तुम
फिर ना जाने क्यू
हाथ गरम और
पाओं ठंडे पड़ गये
सोचा फिर कोई नया खेल चला है तुम्हारा
ठंडा गरम, गरम ठंडा
मुड़के देखा पीछे तो कोई था नही
बस कुछ पेरो के निशान
कुछ नरम सी आहटे
दो चार और थोड़ी बातें
बेवफाह तुम नही
पर यादें हैं तुम्हारी
मनचाही अपने मन की करती हैं
जब मन करता है आ जाती हैं
यूही उठकर चली जाती हैं
गढ़ी की टिक टिक
या बारिश की टिप टिप
दोनो तुम्हारे नाम हैं
फिर सीधे पाओं चली
देखा एक धुंधली सी आस है आगे कोई
आँखो का कोहरा है
या मन का विश्वास है
आगे चलने लगी तो पाया
पाओं फिर ठंडे पड़े और हाथ गरम
झूठ कहा था नही आ रहे
अब तो तुम्हारे झूठ सच से ज़्यादा मीठे लगने लगे हैं
खुश्बुओं से कितने महेकाओगे आशियाने को
अछा अब बस भी करो
ये बारिश भी तुम्हारी साजिश है ना
अब बस भी करो
और उस आस ने हाथ थाम लिया
फिर पाओं ठंडे पड़े और हाथ गरम
लेकिन इस बार बारिश को नही कोसा
क्यूंकी अब वजह थे तुम